हिंदी है हम ( एक सराहनीय मुहीम ) 

हमारी भाषा हमारी सांस्कृतिक पहचान को परिभाषित करती है. तेजी से बदलते इस दौर में महत्वपूर्ण यह नहीं है की हमारे शिक्षा का माध्यम क्या है या क्या रहेगा, बल्कि महत्वपूर्ण यह है की हमारे सपनों और सोच का माध्यम क्या है. महत्ता उस भाषा की है, जो हमें स्वयं से जोड़ती है और अपने आस-पास की दुनिया को परिभाषित करने में हमें सशक्त करती है. पिछले कुछ सालों में देशवासियों में भारतीय भाषाओँ के प्रति जिस गौरव और सम्मान का पुन:संचार हुआ है यह हम सब की लिए खुशी की बात है. 

दैनिक जागरण का मानना है की भाषा का संरक्षण सिर्फ शब्दकोष या व्याकरण बनाने से नहीं हो सकता. भाषा तभी जीवंत होती है जब उसे लिखने और पढने वाले हों. भाषा तभी दीर्घायु हो सकती है, जब नई पीढ़ी के लेखक और पाठक खुद को अभिव्यक्त करने के लिए भाषा में नित नए आयाम जोड़ें. यही कारण है की लिखने और पढ़ने की समृध परंपरा का निर्वहन भाषा प्रेमियों का प्रथम दायित्व है.

इस देश में पचास करोड़ लोग हिंदी बोलते हैं और हिंदी का प्रसार अन्य सात प्रमुख भारतीय भाषाओँ से भी ज्यादा है और यह संख्या बहुत तेजी से बढ़ भी रही है. जब हवा का रूख अपने अनुकूल हो तब हम सब का दायित्व बनता है की जिस भाषा ने हमें बौधिक रूप से, राजनितिक रूप से और कलात्मक रूप से इतना समृध किया है उस भाषा के उत्थान और प्रसार के लिए हम भी ठोस कदम उठाएं. दैनिक जागरण अपने साढ़े पांच करोड़ पाठक परिवार के सहयोग से हर तरह की रचनाओं के लिए पाठक वर्ग तैयार कर सकता है. पिछले कुछ सालों में नई सोच, नयी शैली और नई कहानियों की अद्भुत कृतियां  प्रकाशित हुई हैं. यह पाठकों का भी अधिकार है की वह नई पीढ़ी के उन लेखकों को जानें और पढ़ें जो हिंदी भाषा में नया काम करने आये हैं.

दैनिक जागरण का अभियान ‘हिंदी हैं हम’ का अपेक्षित परिणाम हिंदी की गौरवशाली विरासत को संजोना, वर्तमान पीढ़ी के लिए ठोस आधार तैयार करना और आने वाले पीढ़ी को इस समृध भाषा से जोड़ना है. ‘हिंदी हैं हम’ अभियान के अंतर्गत दैनिक जागरण ने हिंदी बेस्टसेलर, जागरण संवादी, जागरण वार्तालाप, जागरण ज्ञानवृति जैसे मंच और उपक्रम स्थापित किये हैं. दैनिक जागरण का गर्व हिंदी भाषा के समृधि में निहित है क्योंकि “हिंदी हैं हम”.

नोट – यह सूचना दैनिक जागरण की ऑफिसियल वेबसाइट से लिया गया है और हमारा उद्देश्य सिर्फ अच्छे कार्य की तारीफ कर उसे बढ़ावा देना है । 

एक बात में इसमें जोड़ना चाहूँगा कि हिंदी सिर्फ भाषा नही है , ये कई संस्कृति को जोड़ने वाली , हमारे अस्तित्व का प्रमाण है । कहते है कि बूँद बूँद से मिल कर सागर बनता है वैसे ही हिंदी भी कही भाषाओ को समाये हुए है , ये सिर्फ हमारे बारे में नही है ये इस विश्व को जोड़ने वाली भाषा है । कहते है , अगर तुम्हे हिन्दुस्तान जाने का मौका न मिले तो तुम किसी सज्जन आदमी को हिंदी बोलते देख लो तुम्हे हिंदुस्तान दिख जायेगा ।

हर्ष शुक्ल ड्रीम मेकर्स 

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